अम्ल वर्षा के लिए नाइट्रस आॅक्साइड (O-N2O) और सल्फर डाइआॅक्साइड (SO2) गैस जिम्मेदार है। अम्लीय वर्षा प्राकृतिक रूप से ही अम्ली होती है। इसका कारण पृथ्वी के वायुमण्डल में प्राकृतिक रूप से विद्यमान CO2 का जल के साथ क्रिया करके कार्बोनिक एसिड का निर्माण करना है। अम्ल वर्षा के प्रदूषक (O-N2O) और (SO2) प्रारम्भिक रूप से कारखानों की चिमनियों, बसों और स्वचालित वाहनों के जलाने से उत्सर्जित होकर वायुमण्डल में मिल जाते हैं। अम्लीय वर्षा का पीएच स्तर 5.5 से कम होता है। शुद्ध जल का पीएच स्तर 5.5 से 5.7 के बीच होता हे। प्राकृतिक पर्यावरण को नष्ट करने में अम्लीय वर्षा की प्रमुख भूमिका होती है। यह वर्षा मुख्य रूप से कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैण्ड, इंग्लैण्ड, नीदरलैण्ड, जर्मनी, इटली, फ्रांस तथा यूनान जैसे विकसित देशों में विगत चार-पाँच दशकों से एक गम्भीर पर्यावरणीय समस्या बनी हुई है।
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